अजमतगढ़ ब्लॉक बना भ्रष्टाचार का अड्डा: सचिव-सहयोगी की जोड़ी लूट रही ग्रामीणों को

आजमगढ़ जिले का अजमतगढ़ ब्लॉक इन दिनों भ्रष्टाचार के काले साम्राज्य का सबसे बड़ा गढ़ बन चुका है, जहां ग्राम सचिवों की मनमानी और लूट का ऐसा तांडव चल रहा है कि योगी सरकार की बहुचर्चित "जीरो टॉलरेंस" नीति की धज्जियां उड़ती नजर आ रही हैं। इस ब्लॉक में भ्रष्टाचार का एक ऐसा खतरनाक खेल खेला जा रहा है, जिसके मास्टरमाइंड हैं ग्राम सचिव प्रदीप उपाध्याय। यह नाम अब भ्रष्टाचार का पर्याय बन चुका है, लेकिन इस खेल में उनका एक खास सहयोगी भी है—रोजगार सेवक सुदामा प्रसाद। यह शख्स वसूली का ऐसा "कलेक्टर" है, जो प्रदीप उपाध्याय के इशारों पर ग्रामीणों की जेबें खाली करने का पूरा जिम्मा संभाले हुए है। 


सूत्रों के मुताबिक, अजमतगढ़ ब्लॉक में प्रदीप उपाध्याय और सुदामा प्रसाद की जोड़ी ने लूट का एक ऐसा सिस्टम खड़ा किया है कि हर काम के लिए ग्रामीणों से मोटी रकम वसूलना आम बात हो गई है। जन्म-मृत्यु प्रमाण पत्र बनवाने से लेकर पारिवारिक रजिस्टर में नाम चढ़ाने तक, सारी वसूली का धंधा सुदामा प्रसाद के हाथों में है। वह प्रदीप का दाहिना हाथ माना जाता है हैरानी की बात यह है कि सुदामा प्रसाद के खिलाफ तमाम शिकायतें अधिकारियों के पास पहुंच चुकी हैं, लेकिन वह आज भी सबका "दुलारा" बना हुआ है। कारण साफ है—वह ऊपर से नीचे तक के अधिकारियों के लिए पैसों की वसूली का इंजन है। 

जब अधिकारियों से सवाल किया जाता है कि सुदामा प्रसाद का जो है उससे वही काम करवाया जाय तो उनका जवाब चौंकाने वाला होता है। वे कहते हैं, "हम जैसे चाहेंगे, जिससे चाहेंगे काम लेंगे, यह हमारी मर्जी है।" यह जवाब न सिर्फ उनकी मनमानी को उजागर करता है, बल्कि यह भी साबित करता है कि सुदामा प्रसाद को एक अघोषित छूट मिली हुई है। ग्रामीणों का आरोप है कि सुदामा की इस बेलगाम दादागिरी के पीछे प्रदीप उपाध्याय का संरक्षण है, और दोनों मिलकर ब्लॉक को लूटने का खेल खेल रहे हैं। 

प्रदेश सरकार ने हर ग्राम पंचायत में लाखों की लागत से ग्राम सचिवालय बनवाए थे, ताकि ग्रामीणों को उनके गांव में ही सारी सुविधाएं मिल सकें। लेकिन ये सचिवालय आज धूल फांक रहे हैं—न कोई कर्मचारी, न सचिव, न बैठकें, सब कुछ कागजों पर सिमट कर रह गया है। ग्रामीणों को मजबूरन ब्लॉक मुख्यालय तक दौड़ाया जाता है, जहां प्रदीप और सुदामा की जोड़ी खुलेआम वसूली का धंधा चलाती है। यह एक सुनियोजित साजिश का हिस्सा लगता है, जिसका मकसद है ग्रामीणों को परेशान करना और उनकी जेबें खाली करना। 


इस भ्रष्टाचार के खेल में कई बड़े अधिकारी भी शामिल हैं।  सूत्र बताते हैं कि इस पूरे खेल में प्रदीप उपाध्याय और सुदामा प्रसाद के साथ-साथ सहायक विकास अधिकारी और खंड विकास अधिकारी भी गहराई तक लिप्त हैं। शिकायतों का ढेर लगने के बावजूद कार्रवाई का नामोनिशान नहीं—ऐसा लगता है मानो भ्रष्टाचार के इस साम्राज्य पर किसी का बस नहीं चल रहा। 

लेकिन अब यह खबर इतनी सनसनीखेज और हंगामेदार बन चुकी है कि आम जनता में इनके खिलाफ आक्रोश बढ़ता जा रहा है लोगो का धैर्य किसी वक्त जवाब दे सकता है लोग सड़कों पर उतरने को तैयार हैं। ग्रामीणों का गुस्सा सातवें आसमान पर है, 

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